
बड़े बुजुर्गों का कहना है की लालच बड़ी बुरी बला है लालच जब हावी हो जाए तो भरोसा और रिश्ते दोनों टूट जाते हैं यही हाल अमेरिका और उसके यह 35 लड़ाकू विमान का हो गया डोनाल्ड ट्रंप की ट्रैफिक पॉलिसी और अमेरिकी शर्तों के लालच में अपना न सिर्फ भारत को बल्कि यूरोप को भी अमेरिका से दूर करना शुरू कर दिया है दरअसल अमेरिका हमेशा से चाहता था कि दुनिया उसके हथियारों का निर्भर रहे लेकिन आज ऐसी हालत है कि उसके सबसे बड़े प्रोजेक्ट है F35 जेट को लगातार झटके लग रहे हैं कभी वह कहीं क्रैश हो जाता है तो कभी भारत के F 35 शरीर से दूरी बनाने की खबर सामने आती है अब यूरोप से भी अमेरिका को करारा जवाब दे दिया । यह सिर्फ हथियारों की कीमत का मामला नहीं बल्कि अमेरिका की मोनोपोली और कंट्रोल पॉलिसी से जुड़ा मुद्दा है पहले माना जा रहा था कि स्पेन अपनी नौसेना के लिए F35 खरीदेगा लेकिन अचानक मेड्रिड में प्लान रद्द कर दिया इसकी जगह उसने 259 यूरो फाइटर टायकून खरीदने और फ्यूचर कंपैक्ट और सिस्टम यानी एफसी ए एस पर निवेश करने का फैसला किया है इससे भले ही अगले 10 साल तक स्कूल के पांचवी का लड़ाकू विमान ना हो लेकिन उसका घरेलू उद्योग मजबूत होगा रोजगार पैदा होगा और टेक्नोलॉजी यूरोप के पास ही रहेगी स्विट्जरलैंड में 2022 में जनरल संग्रह करा कर खरीदने की मंजूरी दी थी इसकी कीमत 6 अब फीस प्रैंक थी लेकिन 2023 आते-आते सब बदल गया अमेरिका ने खुद कहा था कि कॉन्ट्रैक्ट कुछ नहीं है महंगाई और सामग्री लागत बढ़ने पर मिलते और बढ़ेगी ऊपर से ट्रंप ने स्विस निर्यात पर टैरिफ ठोक दिया ऐसे में स्विट्जरलैंड के नेता कह रहे है कि डील कम की जाए या फिर रद्द कर दी जाए फरवरी में नरेंद्र मोदी अमेरिका गए थे तो एफ 35 भारत को चिपकाने की कोशिश की गई थी वह तो भला हो भारत का जिसने की अपने तरीके से डील करना आता है टाइम लेता है हर चीज के बारे में पॉजिटिव- नेगेटिव पहलू पर गौर करता है वह तस्वीर आप भूल ही नहीं होंगे जब केरल के एयरपोर्ट पर लगभग 37 दिन अमेरिका का ये एफ 35 खड़ा रहा और दो हफ्ते बाद इसे हैंगर में ले जाने की अनुमति दी गई लेकिन अब ताश के पत्तों की तरह अमेरि का एफ 35 लगातार ढेर हो रहा है यह खुद से ही कहीं भी खड़ा हो जा रहा है जापान में भी इसके अपने लैंड करने की
