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कश्मीरी कालीन पर भी छाया संकट

कश्मीरी कालीन पर भी छाया संकट 

कश्मीरी कॉलिन फोटो अमर उजाला

जम्मू-कश्मीर। वैश्विक बाजार में मांग घटने और ऑर्डर रद्द होने से कश्मीरी कालीन उद्योग गहरे संकट का सामना कर रहा है। अपनी बारीक नक़्क़ाशी और खूबसूरत डिज़ाइन के लिए दुनियाभर में मशहूर कश्मीरी कालीन आज निर्यात न मिलने से प्रभावित हो रहे हैं।

वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारत से कालीन निर्यात 3,577 करोड़ रुपये का था, लेकिन 2023-24 में यह घटकर सिर्फ 2,253 करोड़ रुपये रह गया। यानी एक साल में लगभग 60% की गिरावट दर्ज की गई।

ऑर्डर कम होने से उत्पादन पर असर

अमेरिकी और यूरोपीय बाजारों से निर्यात के ऑर्डर लगातार कम हो रहे हैं। कई व्यापारी बताते हैं कि पहले से मिले ऑर्डर भी रद्द कर दिए गए हैं। इसका असर सीधे उत्पादन और रोजगार पर पड़ा है। कई कारखाने और कार्यशालाएँ बंद होने की कगार पर हैं।

कश्मीरी कालीन बुनकरों की मुश्किलें

जम्मू-कश्मीर के बुनकरों और कारीगरों का कहना है कि पहले महीनों तक काम मिलता था, लेकिन अब मुश्किल से कुछ ही दिनों का काम बचा है। इस वजह से उनकी आर्थिक स्थिति बिगड़ रही है।

सरकार से मदद की आस

कारीगरों और व्यापारियों ने केंद्र और जम्मू-कश्मीर प्रशासन से अपील की है कि वे निर्यात बढ़ाने और नए बाजार तलाशने की दिशा में ठोस कदम उठाएँ। उनका कहना है कि अगर समय रहते मदद नहीं मिली तो यह परंपरागत उद्योग गहरी मार झेल सकता है।

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