कार्की ने ली शपथ, नेपाली संसद भंग – नेपाल को मिली पहली महिला प्रधानमंत्री
नेपाल की राजनीति में बड़ा बदलाव सामने आया है। देश की संसद को भंग करने के फैसले के बाद नेपाली कांग्रेस नेता सुशील कार्की ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। राष्ट्रपति ने शुक्रवार सुबह 8:45 बजे

कार्की को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। इस तरह नेपाल ने एक नया इतिहास रचा है, जहां पहले देश को पहली महिला राष्ट्रपति मिली और अब पहली महिला प्रधानमंत्री।
संसद भंग और नई शुरुआत
नेपाल की राष्ट्रपति ने शपथ ग्रहण से कुछ ही घंटे पहले संसद को भंग कर दिया। राष्ट्रपति भवन से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया कि देश की आंतरिक सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखने के लिए यह कदम उठाया गया है। लंबे समय से राजनीतिक अस्थिरता झेल रहे नेपाल में इस फैसले को निर्णायक मोड़ माना जा रहा है।
संसद भंग होने से देश में नए चुनावों का रास्ता भी खुल गया है। इसके साथ ही, अब जनता की उम्मीदें नई सरकार पर टिकी हुई हैं कि वह स्थिरता और विकास की दिशा में ठोस कदम उठाएगी।
कार्की की बड़ी जीत और संकल्प
प्रधानमंत्री बनने के बाद सुशील कार्की ने कहा कि वे जनता के विश्वास को बनाए रखने के लिए पूरी निष्ठा और ईमानदारी से काम करेंगी। उन्होंने विशेष तौर पर यह वादा किया कि सुरक्षा बलों को और मज़बूत किया जाएगा तथा विकास कार्यों को तेज़ गति से आगे बढ़ाया जाएगा।
कार्की का यह बयान इस बात की ओर संकेत करता है कि उनकी प्राथमिकता राजनीतिक स्थिरता और आर्थिक विकास होगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी सरकार देश को आगे बढ़ाने के लिए पारदर्शिता और जवाबदेही पर जोर देगी।
जनता की उम्मीदें और चुनौतियाँ
नेपाल के लोग लंबे समय से अस्थिर सरकारों और बदलते राजनीतिक समीकरणों से परेशान रहे हैं। अब जब देश को पहली महिला प्रधानमंत्री मिली है, जनता के मन में नई उम्मीदें जगी हैं। लोग चाहते हैं कि आर्थिक संकट से उबरने के लिए ठोस नीतियाँ बनाई जाएं और रोजगार के अवसर बढ़ें।
हालाँकि, कार्की के सामने चुनौतियाँ भी कम नहीं हैं। राजनीतिक अस्थिरता, पड़ोसी देशों के साथ कूटनीतिक संबंधों को संतुलित रखना, महंगाई और बेरोजगारी जैसी समस्याएँ उनकी सबसे बड़ी परीक्षा होंगी।
निष्कर्ष
नेपाल का यह ऐतिहासिक पल देश की राजनीति में नया अध्याय जोड़ रहा है। पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप में सुशील कार्की से लोगों को बड़ी उम्मीदें हैं। अब देखना होगा कि क्या उनकी सरकार जनता की आकांक्षाओं को पूरा कर पाती है और नेपाल को स्थिरता व प्रगति की राह पर ले जा पाती है।

