उत्तर प्रदेश बिजली विभाग फोटो । जागरण

निजीकरण से मिलेगी रफ्तार, 2047 तक विकसित प्रदेश बनने का सपना होगा साकार

उत्तर प्रदेश बिजली विभाग
फोटो । जागरण

लखनऊ। उत्तर प्रदेश को 2047 तक विकसित प्रदेश बनाने का लक्ष्य तभी हासिल किया जा सकेगा, जब ऊर्जा क्षेत्र में सुधार और निजीकरण की प्रक्रिया लगातार जारी रहे। विशेषज्ञों और उपभोक्ता संगठनों का कहना है कि बिजली क्षेत्र की मौजूदा स्थिति को देखते हुए बिना निजी निवेश और प्रबंधन के सुधार मुश्किल हैं।

बिजली विभाग पर बढ़ता घाटा

नवीनतम वित्तीय रिपोर्ट (एफ.आर.) के अनुसार वर्ष 2022-23 में प्रदेश के बिजली वितरण निगमों (डिस्कॉम्स) का घाटा 42,324 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। वहीं, लाइन लॉस भी 22 फीसदी से अधिक दर्ज किया गया है। इन आंकड़ों से साफ है कि मौजूदा व्यवस्था पर बोझ बढ़ रहा है और उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण सेवा देने में कठिनाई हो रही है।

क्यों जरूरी है निजीकरण?

निजी निवेश से बिजली आपूर्ति की गुणवत्ता और उपलब्धता में सुधार होगा।

पारदर्शिता बढ़ेगी और उपभोक्ताओं को समय पर बिलिंग व सेवाएं मिलेंगी।

लाइन लॉस घटने से वित्तीय दबाव कम होगा।

औद्योगिक विकास को स्थिर और पर्याप्त बिजली मिलने से बढ़ावा मिलेगा।

उपभोक्ताओं की उम्मीदें

राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद और स्वराज समिति का कहना है कि सरकार को पारदर्शी नीति के तहत निजी कंपनियों को वितरण नेटवर्क संभालने का अवसर देना चाहिए। साथ ही, उपभोक्ताओं को किफायती दरों पर बिजली उपलब्ध कराना प्राथमिकता रहनी चाहिए।

विकसित प्रदेश की राह

विशेषज्ञों का मानना है कि अगर आने वाले 10 वर्षों में बिजली क्षेत्र में संरचनात्मक सुधार और निजीकरण पर जोर दिया गया, तो न केवल घाटा कम होगा बल्कि औद्योगिक और सामाजिक विकास को भी नई दिशा मिलेगी। यही कदम 2047 तक उत्तर प्रदेश को विकसित प्रदेश बनाने का रास्ता साफ करेंगे।

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