काठमांडू में सोमवार को संसद परिसर के पास विरोध प्रदर्शन के दौरान हजारों की संख्या में जुटे आंदोलनकारी को रोकने की कोशिश करते सुरक्षाकर्मी फोटो आज तक

नेपाल में सोशल मीडिया पर पाबंदी के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन, 19 की मौत

काठमांडू में सोमवार को संसद परिसर के पास विरोध प्रदर्शन के दौरान हजारों की संख्या में जुटे आंदोलनकारी को रोकने की कोशिश करते सुरक्षाकर्मी फोटो आज तक

काठमांडू। नेपाल में सरकार द्वारा सोशल मीडिया पर रोक लगाने के फैसले के खिलाफ देशभर में हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गए। सोमवार को संसद भवन के बाहर विरोध कर रही भीड़ को तितर-बितर करने के लिए सुरक्षा बलों ने गोलीबारी की, जिसमें 19 प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई और 347 लोग घायल हुए।

सरकार ने संसद परिसर और राजधानी काठमांडू के कई हिस्सों में कर्फ्यू लगा दिया है। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सेना और बड़ी संख्या में पुलिस बल को तैनात किया गया है। गृहमंत्री ने इस पूरे मामले की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया।

रविवार को संसद में सरकार ने सोशल मीडिया प्रतिबंध से जुड़े प्रस्ताव को पारित किया था। इसके बाद से ही बड़ी संख्या में लोग विरोध के लिए सड़कों पर उतर आए। पुलिस ने भीड़ को रोकने की कोशिश की, लेकिन हालात बिगड़ते देख सीआरपीएफ और सेना को बुलाना पड़ा। संसद भवन, राष्ट्रपति कार्यालय और प्रधानमंत्री आवास के आसपास सुरक्षा बढ़ा दी गई है।

सोमवार शाम तक हालात तनावपूर्ण बने रहे। गृह मंत्रालय ने सभी प्रमुख सुरक्षा एजेंसियों को ‘दिखते ही गोली मारने’ का आदेश दिया था। भीड़ को काबू में करने के लिए आंसू गैस और लाठीचार्ज का भी इस्तेमाल हुआ।

जेने-जी का आंदोलन

नेपाल में यह विरोध खासतौर से ‘जेने-जी आंदोलन’ के नाम से चलाया जा रहा है। इस आंदोलन की शुरुआत 1997 और 2012 के बीच जन्मे युवाओं ने की है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सोशल मीडिया पर पाबंदी लगाकर सरकार उनकी आवाज दबाना चाहती है। इस फैसले को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला माना जा रहा है।

पुलिस ने अब तक 102 लोगों को गिरफ्तार किया है। सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार हालात को काबू में लाने के लिए और सख्त कदम उठाए जा सकते हैं।

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