मिराई (Telugu) रिव्यू: विजुअल्स दमदार, कहानी अधूरी सी
Special Arrangement&the hindu
निर्देशक: कार्तिक गट्टमनेनी
कलाकार: तेजा सज्जा, मंजू मनोज, रितिका नायक
रनटाइम: 168 मिनट
कहानी
मिराई की शुरुआत बड़े वादे के साथ होती है। फिल्म
एनीमेशन का इस्तेमाल कर एक काल्पनिक दुनिया गढ़ती है। इसकी जड़ें सम्राट अशोक तक जाती हैं, जो कलिंग युद्ध के बाद पछतावे में डूबे रहते हैं। कथा कहती है कि नौ ग्रंथ नामक शक्तिशाली किताबों की रक्षा एक गुप्त समाज करता है। इन ग्रंथों को अगर बुरी ताकतें हासिल कर लें, तो पूरी दुनिया खतरे में पड़ सकती है।
सदियों तक ये संतुलन बना रहता है, लेकिन एक समय ऐसा आता है जब अंधकार की शक्ति उठ खड़ी होती है। इसी बीच एक ‘चुना हुआ नायक’ सामने आता है, जिसे नौवां ग्रंथ और पूरी दुनिया बचानी है।
समीक्षा
फिल्म में साधु-संतों का समूह, ऋषि अगस्त्य की कथाएं और भविष्यवाणी से जूझती एक मां का जिक्र है। उसका बेटा ही चुना हुआ नायक बनता है। सुनने में कहानी रोचक लगती है, लेकिन स्क्रीन पर आते-आते यह प्रभावी नहीं बन पाती।
पहला घंटा कई किरदारों और जगहों के बीच भटकता है। खतरे का जिक्र बार-बार होता है, लेकिन दर्शकों को उस तात्कालिकता का अहसास नहीं हो पाता। नायक को चुना जाना, उसका भाग्य जानना और महायात्रा पर निकलना—ये सब सतही अंदाज़ में दिखाया गया है।
विजुअल्स और तकनीक
कार्तिक गट्टमनेनी ने इस बार बड़े बजट पर काम किया है। सिनेमैटोग्राफी, प्रोडक्शन डिजाइन (नागेंद्र तंगाला) और विजुअल इफेक्ट्स टीम ने फिल्म को ग्रैंड विजुअल्स दिए हैं। लेकिन शानदार कैनवास के नीचे कहानी कई जगह कमजोर पड़ जाती है।
तेजा सज्जा की यह फिल्म कई बार हनु-मान की याद दिलाती है। उस फिल्म में भी पौराणिक तत्वों के साथ सुपरहीरो फैंटेसी गढ़ी गई थी, लेकिन उसकी भावनात्मक गहराई ने दर्शकों का दिल जीत लिया था। मिराई उसी जादू को पूरी तरह दोहरा नहीं पाती।
निष्कर्ष
मिराई एक शानदार विजुअल अनुभव है, लेकिन कहानी और भावनात्मक जुड़ाव की कमी इसे सीमित कर देती है। अगर फिल्म भावनाओं पर और ध्यान देती तो यह अनुभव और भी यादगार हो सकता था।
