सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: वक्फ संशोधन कानून पर पूरी तरह रोक नहीं, केवल कुछ प्रावधानों पर रोक
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए वक्फ संशोधन कानून 2025 पर अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि इस कानून को पूरी तरह से रोका नहीं जाएगा। अदालत ने स्पष्ट किया कि कानून का मूल उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और पारदर्शिता को सुनिश्चित करना है। हालांकि, इसमें शामिल कुछ प्रावधानों पर फिलहाल रोक लगाई गई है क्योंकि वे विवादास्पद माने जा रहे हैं।
मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने कहा कि कानून के कुछ हिस्सों से नागरिकों के मौलिक अधिकार प्रभावित हो सकते हैं। विशेषकर संपत्ति के पंजीकरण और प्रबंधन से जुड़े नए नियमों को लेकर अदालत में कई याचिकाएं दाखिल हुई हैं। याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि नए कानून से वक्फ संपत्तियों के मालिकाना हक और उपयोग पर अनावश्यक दखल बढ़ेगा, जिससे समाज के एक बड़े तबके के अधिकार प्रभावित होंगे।
अदालत ने दलीलों को सुनने के बाद कहा कि जब तक इस मामले पर अंतिम बहस पूरी नहीं होती, तब तक विवादित प्रावधानों को लागू नहीं किया जाएगा। हालांकि, अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि कानून का पूरा ढांचा और इसकी मूल भावना लागू रहेगी। इसका मतलब यह हुआ कि वक्फ संपत्तियों के संरक्षण और प्रबंधन से जुड़े वे प्रावधान जिन पर कोई आपत्ति नहीं है, वे पहले की तरह प्रभावी रहेंगे।
वक्फ बोर्ड और याचिकाकर्ताओं की दलील
वक्फ बोर्ड और कई सामाजिक संगठनों ने दलील दी कि नए संशोधन से वक्फ संपत्तियों पर सरकार का अत्यधिक नियंत्रण बढ़ जाएगा। खासकर रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया में बदलाव से कई पुरानी संपत्तियों का दर्जा बदल सकता है। उनका कहना है कि इससे न केवल धार्मिक और सामाजिक संस्थाओं का काम प्रभावित होगा बल्कि लाखों लोगों की रोज़मर्रा की ज़िंदगी पर भी असर पड़ेगा।
याचिकाकर्ताओं ने यह भी कहा कि कानून में पारदर्शिता लाना ज़रूरी है, लेकिन इसके नाम पर समुदाय के अधिकारों को सीमित नहीं किया जा सकता।
सरकार का पक्ष
केंद्र सरकार ने अदालत में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि वक्फ संपत्तियों का सही तरीके से रिकॉर्ड तैयार करना और उनकी देखभाल करना बेहद ज़रूरी है। सरकार का दावा है कि संशोधन कानून का मकसद केवल व्यवस्थागत सुधार करना है। इसके जरिए वक्फ संपत्तियों में हो रहे घोटाले और अनियमितताओं को रोका जा सकेगा।
सरकार का यह भी कहना है कि वक्फ बोर्ड को और अधिक जवाबदेह बनाने तथा आम लोगों को न्याय दिलाने के लिए ही यह संशोधन लाया गया है।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि कानून बनाना संसद का अधिकार है, लेकिन यह सुनिश्चित करना अदालत का कर्तव्य है कि कोई भी कानून संविधान के दायरे से बाहर न जाए। अदालत ने कहा कि वक्फ संशोधन कानून का मूल उद्देश्य सही है, लेकिन इसमें कुछ ऐसे प्रावधान हैं जिनसे नागरिकों के अधिकारों पर आंच आ सकती है। इसलिए इन प्रावधानों को अंतिम सुनवाई तक स्थगित किया जाता है।
आगे की राह
अब यह मामला 22 सितम्बर 2025 को फिर से सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है। तब तक कानून का केवल विवादित हिस्सा ही लागू नहीं होगा, बाकी प्रावधान प्रभावी रहेंगे।
यह फैसला न केवल वक्फ संपत्तियों से जुड़े पक्षकारों के लिए अहम है बल्कि पूरे देश में कानून और संविधान की संतुलनकारी भूमिका को भी दर्शाता है। अदालत ने यह स्पष्ट संदेश दिया है कि कोई भी कानून समाजहित में होना चाहिए, लेकिन साथ ही नागरिकों के मौलिक अधिकारों की भी रक्षा होनी चाहिए।
