गणेश विसर्जन 2025 फोटो जागरण

🪔 गणेश विसर्जन 2025: बप्पा की विदाई से पहले करें विशेष पूजा, जानें पूरी विधि और शुभ मुहूर्त

गणेश विसर्जन 2025
फोटो जागरण

भारत में हर साल गणेश चतुर्थी बड़े धूमधाम से मनाई जाती है। गणपति बप्पा का आगमन भाद्रपद मास की चतुर्थी को होता है और दस दिन तक घर-घर और पंडालों में उनकी पूजा की जाती है। भक्तजन इन दिनों बप्पा को लड्डू, मोदक, फल, पुष्प और दुर्वा अर्पित कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस पर्व का समापन अनंत चतुर्दशी को होता है, जब भक्तगण गणपति बप्पा का विसर्जन करते हैं। वर्ष 2025 में यह तिथि शनिवार, 6 सितंबर 2025 को पड़ेगी।

गणेश विसर्जन केवल धार्मिक अनुष्ठान ही नहीं, बल्कि बप्पा से अगले वर्ष पुनः आने का आग्रह भी है। लोग विसर्जन से पहले विशेष पूजा-अर्चना और ‘उत्तरा पूजन’ करते हैं। आइए जानते हैं इस बार के विसर्जन की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व।

🌸 विसर्जन से पहले की पूजा विधि

गणेश विसर्जन के दिन सुबह स्नान करने के बाद घर या पंडाल में बप्पा की पूजा की जाती है। पूजा की परंपरा इस प्रकार है:

1. गणपति का स्नान – सबसे पहले बप्पा को गंगाजल या स्वच्छ जल से स्नान कराया जाता है।

2. श्रृंगार और वस्त्र – स्नान के बाद उन्हें साफ-सुथरे वस्त्र पहनाए जाते हैं और फूलों से श्रृंगार किया जाता है।

3. नैवेद्य अर्पण – लड्डू, मोदक, नारियल, फल और अन्य मिठाइयाँ गणेश जी को अर्पित की जाती हैं।

4. आरती और मंत्र जाप – परिवार या समाज के लोग मिलकर गणपति आरती और गणेश मंत्रों का जाप करते हैं।

5. उत्तरा पूजन – विसर्जन से पहले विशेष ‘उत्तरा पूजन’ किया जाता है। इसमें भक्त बप्पा से क्षमा याचना करते हैं और अगले वर्ष पुनः आगमन का निवेदन करते हैं।

6. विदाई मंत्र – पूजा के अंत में “गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ” जैसे जयकारे लगाए जाते हैं।

🕒 गणेश विसर्जन 2025 शुभ मुहूर्त

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार विसर्जन कार्य शुभ मुहूर्त में करना अत्यंत फलदायी माना गया है। इस वर्ष के विसर्जन का शुभ समय इस प्रकार है:

• तारीख – शनिवार, 6 सितंबर 2025

• अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 11:50 से 12:40 बजे तक

• पूरे दिन के अन्य शुभ समय – प्रातःकाल से संध्या तक विभिन्न प्रहरों में पूजा और विसर्जन किया जा सकता है।

• रात्रि में विसर्जन करने से बचना चाहिए।

🙏 गणेश विसर्जन का महत्व

गणेश विसर्जन केवल गणपति की प्रतिमा को जल में प्रवाहित करने का संस्कार नहीं है, बल्कि इसके पीछे गहरी आध्यात्मिक भावना जुड़ी है।

• विदाई और पुनः आगमन का प्रतीक – विसर्जन के समय भक्त बप्पा से अगले वर्ष पुनः आने की प्रार्थना करते हैं।

• आध्यात्मिक संदेश – यह हमें सिखाता है कि जीवन में कुछ भी स्थायी नहीं है। हर शुरुआत का एक अंत होता है और हर अंत एक नई शुरुआत का अवसर लाता है।

• सामूहिक उत्सव – इस दिन लोग एकजुट होकर भक्ति में डूब जाते हैं। पूरे समाज में उत्साह और सद्भाव का माहौल बनता है।

• सकारात्मक ऊर्जा – मान्यता है कि बप्पा की प्रतिमा जल में विसर्जित करने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है।

✨ विशेष मान्यताएँ

• विसर्जन से पहले ‘उत्तरा आरती’ करने की परंपरा है। इसे करने से गणपति जी प्रसन्न होकर परिवार पर कृपा बनाए रखते हैं।

• मोदक और लड्डू गणेश जी के प्रिय भोग माने जाते हैं। विसर्जन के दिन इन्हें ज़रूर अर्पित किया जाता है।

• विसर्जन के बाद परिवार के लोग घर पर दीप प्रज्वलित कर प्रार्थना करते हैं कि बप्पा अगले वर्ष और भी बड़े सौभाग्य के साथ आएं।

निष्कर्ष

गणेश विसर्जन 2025, शनिवार 6 सितंबर को धूमधाम से मनाया जाएगा। इस दिन भक्तजन विशेष पूजा, उत्तरा पूजन और शुभ मुहूर्त में विसर्जन कर गणपति बप्पा से सुख, समृद्धि और मंगलकामना की प्रार्थना करेंगे। यह पर्व केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि जीवन के उत्थान और सकारा

त्मकता का संदेश भी देता है।

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