
ओयो रूम्स कपल्स के बीच काफी फेमस है 2013 में शुरू हुई इस कंपनी ने महज 8 साल में 75000 करोड़ का बिज़नेस खड़ा कर लिया है इसके संस्थापक रितेश अग्रवाल हैं एक जमाना था जब रितेश की जेब में सिर्फ ₹30 थे उनका पहला स्टार्टअप ओरावेल स्टेज बुरी तरफ फैल हो गया था वही आगे उनके अपने करियर का कोई अंदाजा नहीं था लेकिन फिर भी उन्होंने ओयो रूम्स जैसी बड़ी कंपनी खड़ा कर दी तो आखिर यह ओयो रूम्स इतना बड़ा ब्रांड कैसे बना आईए जानते हैं ओडिशा के रायगढ़ जिले के भीषमकटक पैदा हुए रितेश अग्रवाल जब स्कूल में थे तभी से उन्होंने एंटरप्रेन्योर बनने कि ठान ली थी घर वालों की जीद पर वह आईआईटी एंट्रेस की तैयारी के लिए कोटा चले गए लेकिन यहां उनके पढ़ाई में मन नहीं लगा तो ऐसे में उन्होंने सफर करना शुरू कर दिया इस दौरान वह कई होटल में जाते हैं और उनसे कहते हैं कि मैं होटल इंडस्ट्री एक बड़ी प्रॉब्लम सॉल्व करना चाहता हूं कृपया मुझे अपने यहां रुकने दे उनकी ईस रिक्वेस्ट पर कोई उनके डिस्काउंट दे देता तो कोई दुत्कार कर भगा देता अपने इस सफर मे
उन्होंने लगभग 100 जगह से 200 होटल में स्टे किया इस दौरान उन्होंने होटल इंडस्ट्री की सबसे बड़ी प्रॉब्लम पकड़ ली फिर अपने आइडिया पर काम करते हुए उन्होंने 2012 में और ओरावेेल स्टेज नाम का स्टार्टअप शुरू किया वह रास्ते होटल में जाते हैं और वहां से कमरे का लुक एंड फिल अच्छा बना देते हैं इसके साथ ही वह उन होटलों के लिए ग्राहक भी सर्च करते हैं हालांकि तब यह काम कुछ खास नहीं चला और उन्हे भारी नुकसान हुआ अब उनकी जेब में सिर्फ ₹30 बचे थे वह दिल्ली की मोठ मार्केट में बैठे भविष्य के बारे में चिंतित कर रहे थे फिर 2013 में रितेश को थिएल फेलोशिप के लिए चुना गया 2 साल के इस प्रोग्राम में फेलो को एक लाख डॉलर मतलब लगभग 75 लख रुपए मिले थे यह वही साल था जब रितेश ने ओयो रूम स्टार्ट किया था ओयो रूम्स सस्ते होटल को अपने साथ जोड़ा वे उनके ब्रांडिंग मार्केटिंग टेक्नोलॉजी सपोर्ट कस्टमर मैनेजमेंट और उसके लुक और फिल जैसी चीजों को बेहतर बनाते थे इसका नतीजा यह हुआ की होटल वालों का व्यापार दोगुना बढ़ गया जल्दी ही यह कॉन्सेप्ट पॉपुलर हुआ और वह रूम को भी फंडिंग मिलने लगी ओयो क्वालिटी और प्राइस पर फोकस करने की रणनीति
